There should be a fair investigation in the case of sexual harassment of women police personnel:

Editorial: महिला पुलिस कर्मियों के यौन शोषण मामले में हो निष्पक्ष जांच

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There should be a fair investigation in the case of sexual harassment of women police personnel:

There should be a fair investigation in the case of sexual harassment of women police personnel: हरियाणा में एक एसपी स्तर के पुलिस अधिकारी पर 19 महिला पुलिस कर्मियों के द्वारा यौन शोषण के आरोप की शिकायत एक गंभीर मामला है। हालांकि एकाएक इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है कि सच में ऐसा कुछ हुआ हो। लेकिन यह मामला उच्च स्तरीय और गंभीर जांच की मांग करता है। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच एक महिला एसपी को सौंपी है, जिन्होंने सामने आ रही रपट के मुताबिक मामले में दावा किया गया है कि इन आरोपों की पुष्टि नहीं हो रही।

 अब प्रदेशभर में इस मामले पर राजनीति हो रही है कि क्या सच में ऐसा हो सकता है कि इतनी महिला पुलिस कर्मचारी किसी अधिकारी पर आरोप लगाएं और जांच में कुछ भी न निकले। यह भी कहा जा रहा है कि जिन महिला पुलिस कर्मियों से पूछताछ की गई है, उनके साथ वह वारदात घटी भी नहीं है। तो जांच अधिकारी ने आखिर किसे बुलाकर जांच की खानापूर्ति कर ली। प्रदेश में अभी हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपराध भी एक मुद्दा था, हालांकि यह कहा गया कि पूरे देश में अपराध घटते हैं और इसके लिए किसी एक राज्य का नाम नहीं लिया जा सकता। बेशक, ऐसा संभव है, लेकिन फिर भी पुलिस विभाग जिस पर दूसरों की सुरक्षा करने का दायित्व है, अगर उसके ही एसपी स्तर के अधिकारी पर ऐसे आरोप लगेंगे तो यह गंभीर विषय बन जाता है।

गौरतलब है कि प्रदेश में बीती सरकार के समय तत्कालीन खेल मंत्री पर एक महिला खेल प्रशिक्षक ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इस मामले पर खूब सियासत हुई थी, यहां तक की तत्कालीन सरकार ने संबंधित मंत्री को पद से हटाने की मांग भी अनसुनी कर दी थी और उनका विभाग लेकर उन्हें पद पर यथावत बनाए रखा था। इस मामले में महिला खेल प्रशिक्षक की ओर से अनेक आरोप लगाए गए थे, उन आरोपों की जांच भी हुई और मामला चंडीगढ़ की अदालत में चल रहा है। इस प्रकरण में कुछ ऐसे हालात दिखाई दिए थे, जिनमें तत्कालीन मंत्री को बचाते पूरा तंत्र दिखाई दिया था। हालांकि बाद में उन राजनीतिक को टिकट भी नहीं दिया गया। निश्चित रूप से किसी पर आरोप लगने मात्र से वह अपराधी नहीं हो जाता लेकिन इस तरह के आरोप किसी की जिंदगी को बर्बाद कर सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सच में उन आरोपों में कुछ ठोस है।

महिला पुलिस कर्मचारियों का एसपी स्तर के अधिकारी के साथ ही राब्ता होता है, लेकिन यह खेदजनक है कि उनकी ओर से ऐसे आरोप लगे। सबसे पहले तो यह कि ऐसे आरोप लगाते हुए पुलिस कर्मी या कोई भी निचले दर्जे का कर्मचारी डरता ही है। उसे अपनी नौकरी और जान-माल का खतरा होता है। तब हिम्मत करके अगर उन कर्मचारियों ने इस मामले को सामने ला भी दिया है तो इसे फौरी जांच करके नहीं टाला जा सकता। यह पता लगाया जाना जरूरी है कि क्या सच में ऐसा हुआ था और अगर हुआ तो संबंधित अधिकारी को सजा किस प्रकार सुनिश्चित की जाएगी। क्योंकि यह तो वही मामला हुआ है कि बाड़ ही खेत को खा रही है।

इस केस में एक बेहद दुखद बात सामने आ रही है, वह यह है कि शिकायतकर्ता महिला पुलिस कर्मियों ने बताया है कि एक महिला अधिकारी उन्हें उस अधिकारी तक लेकर गई थी। इस दौरान यह भी बताया जा रहा है कि जब उस महिला पुलिसकर्मी के साथ यौन उत्पीड़न हुआ तो उसने लाज बचाकर भागने की कोशिश की। लेकिन संबंधित महिला पुलिस अधिकारी की ओर से कहा गया कि उच्चाधिकारी के साथ कॉपरेट करना पड़ता है। आखिर यह किस प्रकार का कार्पोरेशन है, किसी के साथ अपराध अंजाम दिया जा रहा है और फिर उसे चुप रहने को भी कहा जा रहा है। अगर ये आरोप सच हैं तो उन महिला पुलिस अधिकारी को भी सजा मिलनी चाहिए और उन्हें शर्मसार होना चाहिए।

 इस मामले में अब राज्य महिला आयोग ने संज्ञान लिया है, जोकि उचित ही है। आयोग की ओर से इस संबंध में डीजीपी से रिपोर्ट मांगी गई है वहीं संबंधित पुलिस अधिकारी को भी तलब किया है। दरअसल यह सच में गंभीर विषय है कि एकाएक यह घटना सामने आ रही है। राज्य सरकार को इस संबंध में पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से जांच करानी चाहिए। यह भी जरूरी है कि एसपी स्तर के अधिकारी के मामले में जांच उसके उच्चाधिकारी के द्वारा की जाए। प्रदेश की जनता ने बहुत उम्मीदों के साथ भाजपा सरकार को सत्ता सौंपी है, उसे अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा। 

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